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इस्लामाबाद | 1950 के दशक में, कोई भी नहीं सोच सकता कि पाकिस्तान और चीन कभी सबसे अच्छे दोस्त साबित होंगे और कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी दोस्ती बरकरार रहेगी। कभी किसी ने यह भी नहीं सोचा कि पाकिस्तान के लिए चीन “इज़राइल” बन जाएगा।

मुस्लिम देशों में पाकिस्तान एकमात्र तीसरा देश है, जिन्होंने समाजवादी क्रांति के बाद चीन गणराज्य को मान्यता दी है। पाकिस्तान ने 4 जनवरी, 1950 को इस मान्यता की घोषणा की।

CPEC परियोजनाओं से जुड़े चीनी नागरिकों पर बलूचियों ने अपने हमले तेज कर दिए हैं, जिससे उनकी सुरक्षा लागत और परियोजनाओं के राजनीतिक जोखिम में वृद्धि हो गई है ।

भारत के पड़ोसी देश, पाकिस्तान को, उसके सबसे अच्छे दोस्त चीन की तरफ से निकट भविष्य में धोखा मिलेगा।

ऐसा हम नहीं बल्कि एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि, कई महीनों से धन की कमी के कारण, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का निर्माण कार्य बंद है।

और चीन, अपनी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का निर्माण कार्य के लिए 60 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता पीछे हट रहा है।

इमरान सरकार की कमजोर राजकोषीय प्रबंधन के कारण पाकिस्तान, चीन के कर्ज जाल में बुरी तरह से फंस गया है।

हाल ही में प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों में, यह दावा किया गया है कि चीन अब पाकिस्तान को फंडिग करने से भी पीछे हट रहा है।

साल 2016 में पाकिस्तान को China Development Bank और Export-Import Bank of China ने 75 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया था |

एशिया टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार, यह ऋण राशि पिछले साल 4 बिलियन हो गई थी जो इस साल अब 3 अरब अमरीकी डालर हो गया है।