Subscribe to our YouTubeChannel

प्रतिभा कभी उम्र की मोहताज नहीं होती, इस बात को पूरी तरह सच सबित किया है अहमदाबाद गुजरात के राज मेहता ने।

गुजरात के एक आदिवासी बहुल जिले गोधरा के संतरामपुर शहर का रहने वाला था उसके पिताजी और पूरा परिवार संतरामपुर में ही रहता था और वह अहमदाबाद के SG हाईवे पर स्वामीनारायण गुरुकुल में पढ़ने के लिए एडमिशन लिया था।

वह अपने बुआ के घर मणिनगर में रहता था और घर से स्कूल हर रोज साइकिल से आता जाता था।

राज मेहता को अपने घर से स्कूल साइकिल में जाने से 3:00 से 3:30 घंटे लगते थे और उसे काफी थकान भी महसूस होती थी।

एक दिन वह इंटरनेट पर एक वीडियो देखा जिसमें यह बताया गया था कि यदि आप साइकल में एक किसी पुराने गाड़ी का स्टार्टर मोटर लगा देंगे तब आपको पैडल मारने में कम ताकत लगाने की जरूरत पड़ेगी ।

राज मेहता ने पहले अपने पिता से कुछ पैसे मांगे ताकि वह इस बारे में कुछ रिसर्च कर सके।

उसके पिता ने उसे डांट दिया और कहा कि तुम चुपचाप पढ़ाई पर ध्यान दो फिर वह अपने दादा से बात किया और दादा ने उसे चुपके से ₹6000 दिया।

उसके बाद राज मेहता ने अपनी साइकिल में एक कबाड़ से खरीदा हुआ स्टार्टर मोटर लगाया तो उसे सच में लगाकर कम ताकत से साइकिल तेज चल रही है।

फिर राज मेहता ने और आरएंडी किया उसके बाद उसने विदेश से पीसीबी किट लिथियम आयन बैटरी मोटर पावर कंट्रोलर मंगाया और उन सब को जोड़कर उसने एक पुराने साइकिल में फिट किया उसे काफी अच्छा रिजल्ट मिला क्योंकि लिथियम आयन बैटरी से उसकी साइकिल 500 किलोमीटर चलती थी और बहुत जल्दी चार्ज हो जाती थी ।

फिर उसके दिमाग में बिजनेस आइडिया आया उसे लगा कि भारत में आने वाला वक्त अब इलेक्ट्रिक व्हीकल का है क्योंकि एक बार पहले भी भारत में ई-बाइक्स आई थी और फेल हो गई क्योंकि उसका सबसे बड़ा कारण यह था कि उस वक्त भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बैटरी टेक्नोलॉजी इतनी डिवेलप नहीं थी उस वक्त की बाइक के फेल होने का सबसे बड़ा कारण यह था कि गाड़ियों में 24 एंपियर की यूपीएस वाली बैटरी फिट की जाती थी और ऐसी 4 बैटरी फिट होती थी जिससे वजन काफी बढ़ जाता था यह बैटरी महंगी होती थी और इन से अच्छा एवरेज नहीं मिलता था।

लेकिन आज बैटरी में काफी रिसर्च हुआ है और लिथियम आयन बैटरी आने के बाद इलेक्ट्रिक वेहिकल में एक क्रांति सी आ गई है।

राज मेहता ने 13 साल की उम्र में एक e-cycle बनाया 16 साल की उम्र में इसने एक्सपोर्ट और इंपोर्ट लाइसेंस हासिल किया आज इसके प्रोडक्ट भारत के अलावा इंडोनेशिया अफ्रिका यूरोप निर्यात हो रहे हैं और मात्र 19 साल की उम्र में इसकी कंपनी का टर्नओवर 35 करोड़ रुपए पहुंच गया हैl

आज राज मेहता अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने दादा को देता है आज राज मेहता की कंपनी के इलेक्ट्रिक व्हीकल काफी तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं l