भारत में सबसे पहले मिले कोरोना स्ट्रेन को 'डेल्टा वेरिएंट' कहा जाएगा ,WHO ने किया नामकरण
भारत में सबसे पहले मिले कोरोना स्ट्रेन को 'डेल्टा वेरिएंट' कहा जाएगा ,WHO ने किया नामकरण
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कोरोना वायरस के सभी स्ट्रेन का नामकरण कर दिया है। । कोरोना वायरस के स्ट्रेन या वैरिएंट को किसी खास देश से जोड़ने को लेकर उठे विवाद के बीच WHO ने कोरोना यानी SARS CoV-2 के मुख्य वैरियेंट के नामों को पुकारने और याद रखने के लिए नामकरण कर दिया हैं. कोरोना के लिए जिम्मेदार वायरस का नाम ग्रीक अल्फाबेट का इस्तेमाल करते हुए किया गया है। व्यापक विचार-विमर्श और समीक्षा के बाद इन नामों पर फैसला किया गया है।

इसके तहत भारत में सबसे पहले कोरोना का जो वैरिएंट मिला था उसे डेल्टा वेरिएंट नाम दिया गया है। भारत में 12 मई को इस वेरिएंट की पहचान बी.1.617 से हुई थी, जिसे भारतीय वेरिएंट कहा जा रहा था। यह वैरिएंट अब तक 53 देशों में पाया गया है और सात अन्य देशों में अनौपचारिक रूप से पहचाना गया है। यह अन्य वायरस की तुलना में अधिक फैलता है, हालांकि दुनिया भर में इसकी संक्रामक क्षमता के बारे में शोध किया जा रहा है।

WHO ऐसे वेरिएंट्स के लिए लेबल असाइन करेगा, जिन्हें वैरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट या वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न के रूप में नामित किया गया है। भारत में मिलने वाले कोरोना वेरिएंट B.1.617.2 G/452R.V3 को डेल्टा वेरिएंट नाम दिया गया है। आपको बता दें कि भारत में पाए जाने वाले कोरोना वेरिएंट को इंडियन वेरिएंट कहे जाने पर विवाद खड़ा हो गया था। हाल ही में, सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म से किसी भी सामग्री को तुरंत हटाने के लिए कहा था जो कोरोनवायरस के ‘भारतीय वेरिएंट शब्द का उपयोग या संदर्भित करता है। ताकि COVID-19 से जुड़ी फेक न्यूज पर अंकुश लगाया जा सके।

आईटी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पत्र लिखकर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘इंडियन वेरिएंट’ शब्द को कोरोना वायरस के बी.1.617 वेरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है। हाल ही में जब पाकिस्तान ने भी भारत में पाए जाने वाले वैरिएंट का मामला दर्ज किया तो उसे भारतीय वैरिएंट बताया, जिसके बाद सियासी गलियारे में भी खूब बयानबाजी हुई.

हालांकि, डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 की तकनीकी प्रमुख डॉ मारिया वेन केरखोव ने कहा है कि इस नए नामकरण से कोरोना वायरस के मौजूदा स्ट्रेनों का वैज्ञानिक नाम नहीं बदलेगा, क्योंकि ये वैज्ञानिक तथ्यों और शोध पर आधारित नाम हैं। लेकिन किसी भी स्ट्रेन या वैरिएंट को लेकर किसी भी देश को दागदार बनाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए । कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) का वैज्ञानिक नाम और शोध पहले की तरह जारी रहेगा। WHO की एक टीम ने किसी देश विशेष के आधार पर किसी वैरिएंट को लेकर विवाद से बचने के लिए ग्रीक अल्फाबेट यानी Alpha, Beta, Gamma और अन्य के आधार पर कोरोना वायरस के वैरिएंट के नाम रखने का सुझाव दिया था । इससे गैर-वैज्ञानिकों के लिए चर्चा करना बहुत आसान हो जाएगा।

आपको बता दें कि इससे पहले विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा था कि वायरस और वेरिएंट का नाम किसी भी देश के नाम से नहीं जाना चाहिए | जहां यह पाया गया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि डेल्टा से पहले भारत में पाए जाने वाले कोरोना वेरिएंट को कप्पा कहा जाएगा। ये (B.1.617 variant) का पहली बार भारत में पिछले साल अक्टूबर में पता चला था। इसे बहुत तेजी से फैलने वाला संक्रामक वायरस बताया गया था , अब तक यह दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। इससे पहले ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले COVID-19 वेरिएंट को चिंता का विषय बताया गया है।