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दिल्ली में “किसान आंदोलन” के नाम पर हो रहे मनमाने हुड़दंग में एक चेहरा यूपी निवासी एक कथित किसान नेता का भी है। इनका नाम है “राकेश टिकैत”। अब आईये इनके जनाधार की हकीकत भी जानने की कोशिश करते हैं…

किसानों का चौधरी बनकर दिल्ली में चमक रहे ये नेता जी “बहुजन किसान दल” बनाकर 2007 में विधानसभा का चुनाव मुजफ्फरनगर की “खतौली” सीट से लड़े थे..उस चुनाव में इनकी जमानत जब्त हो गई थी। कुल 1.2 लाख वोटों में से इनको सिर्फ वोट मिले थे केवल 9095 (7.5%), इतनी प्रचंड हार के सदमे से उबरने में नेता जी को काफी समय लगा।

इस सदमे के 7 साल बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में नेता जी ने कांग्रेस+ राष्ट्रीयलोकदल” गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में अमरोहा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार नेता जी को कई गुना बड़ा सदमा लगा…फिर जमानत जब्त। नेता जी को अमरोहा सीट पर कुल पड़े 10.95 लाख वोटों में से 1% से भी कम, केवल 9539 (0.87%) वोट मिले.

यह बताना बहुत जरूरी है कि दोनों बार नेता जी पूरा गणित लगाकर इस हिसाब से चुनाव मैदान में उतरे थे कि, इन सीटों पर किसान और उनकी जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. इन चुनावों में किसानों ने जमकर वोट भी डाला था और यह भी खुलकर बता दिया था कि उनका नेता कौन है।

2014 लोकसभा चुनाव के दौरान इन किसान नेता की कार से 60 लाख नगद, शराब की पेटियां और 2 बार नर्तकियां मिली थी। इनका कारनामा जग-जाहिर होने के बाद इन्हें किसी पार्टी ने चुनाव में टिकट ही नहीं दिया। ऐसे किसान नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है।