Subscribe to our YouTubeChannel

आज नवरात्रि के विशेष दिन महाष्टमी के बाद कल महानवमी है। अतः हम अपने पाठकों हेतु महानवमी के पूजन हवन की सम्पूर्ण जानकारी यहाँ दे रहे हैं।

महानवमी के दिन कन्या पूजन करने की है मान्यता

नवमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान है. आप कन्या पूजन के बाद व्रत का उद्यापन कर सकते हैं और पारण करके व्रत को पूरा कर सकते हैं. महानवमी के दिन कन्या पूजा करें, उनसे आशीर्वाद लेने के बाद नवरात्रि व्रत का उद्यापन पारण के साथ करें।

यहां जानें महानवमी पर कन्या पूजन की विधि

कन्या पूजन के दिन सबसे पहले घर में साफ-सफाई करें. कन्या के साथ अगर कोई बालक हो तो उसे भी बैठाएं. कन्या को बैठने के लिए आसन दें और उनके पैर धोएं. कन्या को रोली, कुमकुम और अक्षत् का टीक लगाएं. फिर कन्या के हाथ में मौली बांधें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और कन्या की आरती उतारें. फिर पूरी, चना और हलवा कन्या को खाने के लिए दें. खाने के साथ कन्या को अपने सामर्थ्यनुसार भेंट और उपहार भी दें. फिर उनके बाद उनके पैर छूएं.

कन्या पूजा का नियम

कन्या पूजा में आपको 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए. जब आप कन्या पूजा करने जाएं तो 02 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें तथा उनके साथ एक छोटा बालक भी होना चाहिए. 9 कन्याएं 9 देवियों का स्वरुप मानी जाती हैं और छोटा बालक बटुक भैरव का स्वरुप होते हैं. कन्याओं को घर आमंत्रित करके उनके पैर पानी से धोते हैं, फिर उनको चंदन लगाते हैं, फूल, अक्षत् अर्पित करने के बाद भोजन परोसते हैं. फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीष लेते हैं और उनको दक्षिणा स्वरुप कुछ उपहार भी देते हैं.

ऐसे करें कन्या पूजन

– कन्या पूजन के लिए एक दिन पहले कन्याओं को आदर के साथ आमंत्रित करें.

– कन्या पूजन के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान गणेश और मां दुर्गा की अराधना करें.

– गृह प्रवेश पर कन्याओं पर पुष्प वर्षा कर स्वागत करना चाहिए. इसके साथ ही मां दुर्गा के नौ नामों का जयकारा लगाना चाहिए.

– कन्याओं को स्वच्छ आसन में बैठाकर साफ पानी या दूध से भरे थाल में पैर रखवाकर पैरों को धोना चाहिए. पैर छूकर आशीष लेना चाहिए.

– उसके बाद कन्याओं को माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए.

– मां दुर्गा का ध्यान लगाने के बाद देवी स्वरूप कन्याओं को भोजन कराएं.

– भोजन के बाद सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या उपहार देकर दोबारा पांव छूकर आशीर्वाद लें.

हर उम्र की कन्या का अलग रुप

नवरात्रि में सभी उम्र वर्ग की कन्याएं मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का प्रतिनिधित्व करती हैं.10 वर्ष की कन्या सुभद्रा, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा, 8 वर्ष की शाम्भवी, 7 वर्ष की चंडिका, 6 वर्ष की कालिका, 5 वर्ष की रोहिणी, 4 वर्ष की कल्याणी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी माना जाता है.