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कहते है डाक्टर भगवान का दूसरा रुप होते है लेकिन यहां तो डा. कोमल वास्तव में भगवान बन गयी। आईये हम आपको आज एक वास्तविक देवी से मिलाते हैं, जिन्होंने इंसानियत की अनोखी मिसाल पेश की है।

हमारा समाज भले ही कितना भी शिक्षित हो गया हो, भले ही बेटियां बेटों से जीवन के हर क्षेत्र में क्यों न आगे निकल रही हों परन्तु आज भी हमारे समाज में बेटियों को एक बोझ के रूप में ही देख जा रहा है। बेटियां आज भी अधिकतर परिवारों में एक बिन बुलायी मेहमान की तरह ही मानी जाती हैं। हमारे पुरुष प्रधान समाज में आज भी बेटियां पैदा होने पर लोग शोक में डूब जाते हैं।

हुआ यूं कि जिस अस्पताल में डॉ. कोमल तैनात थी वहां जब एक माँ ने जन्म देते ही जुड़वाँ बेटियों को ठुकरा दिया तो उसका इलाज करने वाली अविवाहित महिला डॉक्टर कोमल यादव ने उन्हें तुरंत अपना लिया। अस्पताल प्रबंधन ने समझाया कि आप अविवाहित है लेकिन उसने किसी की एक नहीं सुनी।

बच्चा गोद लेने की सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर सोमवार को जब डॉ. कोमल दोनों बेटियों को लेकर अपने गाँव पहुँची तो पूरे गाँव ने उन्हें हाथों हाथ लिया। गांववालों ने डॉ. कोमल का दिल से स्वागत किया और उनके इस सराहनीय कदम से पूरा गांव खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

बेटी बचाने की यह मिसाल पेश की है गुलावठी के गाँव ईसेपुर निवासी सीताराम यादव की 29 वर्षीय अविवाहित बेटी डॉ. कोमल यादव ने।

बता दें कि डा. कोमल यादव वर्तमान में फर्रुखाबाद के एक निजी अस्पताल में तैनात हैं। डॉ. कोमल का कहना है कि वो शादी भी उसी शख्स से करेंगी जो इन दोनों बच्चियों को अपनाएगा।

डॉ. कोमल ने हमारे समाज द्वारा बेटी होने के कारण ठुकराई गयी इन दो मासूम बच्चीयों को अपनाकर इंसानियत की एक बहुत ही बड़ी मिसाल पेश की है। डा. कोमल को मानवता की इस अभूतपूर्व मिसाल पेश करने के लिए दिल से सैल्यूट है।