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भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देवरिया जिले के सलेमपुर कस्बे में मिश्री का शर्बत तथा खुखुंदू की कॉफी पसंद थी। जब भी देवरिया आए दोनों का स्वाद जरूर लिया।

बात है 1986 की। अटलजी पूर्वाचल के दौरे पर थे। त्रिवेणी एक्सप्रेस से बनारस से सलेमपुर पहुंचे। पूर्व मंत्री स्व. दुर्गा प्रसाद मिश्र व उनके पुत्र दीपक मिश्र शाका तथा भाजपा नेता अशोक पांडेय ने आगवानी की। अटलजी का लाल रंग का ब्रीफकेस शाका ने हाथ में लिया। रेलवे स्टेशन से पैदल चलकर पूर्व मंत्री मिश्र के आवास पर अटल पहुंचे थे।

दीपक मिश्र बताते हैं कि वह दौर था जब भाजपा संघर्ष कर रही थी। अटलजी संगठन को मजबूत करने के लिए निकल पड़े थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश के दौरे पर वाराणसी आए फिर वहां से सलेमपुर। एक रात मेरे पिता के आवास पर ठहरे। गर्मी का मौसम था। उन्हे मिश्री का शर्बत पीने को दिया गया. जो उन्हें बेहद पसंद आया। बताया गया कि भाजपा कार्यकर्ता शिवनंदन यादव ने बनाया है। शिवनंदन की तारीफ की। शाम को फिर मिश्री का शर्बत मांगा। इसके बाद दौरे पर निकले। खुखुंदू में सभा थी। कॉफी पीने की इच्छा हुई तो खुखुंदू चौराहे पर रामा सेठ की दुकान में कॉफी बनी। वह भी उनको खूब पसंद आई। उनके आने की खबर पर भीड़ बढ़नी ही थी। घर पर भीड़ बढ़ी तो अगले दिन से उनके रुकने की व्यवस्था सलेमपुर के सिचाई विभाग के डाक बंगले में की गई।

राका, शाका, बांका नाम सुनकर लगाया ठहाका

अटल के आने की सूचना पर पूर्व मंत्री पुत्र-पुत्री बकुची गांव से सलेमपुर आए थे। परिचय कराने के दौरान उन्होंने राका, शाका और बांका नाम बताया तो अटलजी ने जोरदार ठहाका लगाया। कहा, फिल्म वालों के संपर्क में थे या फिल्म वाले आपके संपर्क में थे।

अटल जी हम लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने पिता जी से कहा कि मुझे शाका को दे दो। यह भी बड़ा नेता बनेगा। लेकिन मां ने मना कर दिया। अटलजी का मुझ पर स्नेह बहुत था।

अटल जी की खुखुंदू बाजार में सभा हो रही थी। गर्मी का मौसम था। तीन घंटे बाद सभा खत्म हुई तो उन्हें कॉफी पीने का मन हुआ। शिवनंदन नेता मेरी दुकान पर आए। अटलजी ने सामान्य बेंच पर बैठकर कॉफी का स्वाद लिया। कॉफी पसंद आई तो बुलाकर तारीफ की। फिर जब भी सलेमपुर से गुजरते मेरी कॉफी मंगवाते थे।