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बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नरगिस दत्त की आज 40 वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1981 में नरगिस का निधन हो गया था । नरगिस और सुनील दत्त की कहानी बॉलीवुड की कुछ सफल और प्रसिद्ध प्रेम कहानियों में से एक है। कहा जाता है कि सुनील दत्त और नरगिस का प्यार महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ में एक साथ काम करने के दौरान शुरू हुआ था। इसके बाद दोनों ने 11 मार्च 1958 को शादी कर ली। तो चलिए आज हम आपको सुनील दत्त और नरगिस से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं, जब सुनील दत्त नरगिस के इस जवाब से दुखी हुए थे।
नरगिस को साड़ियों का शौक था
सुनील दत्त नरगिस को बहुत चाहते थे और अपनी पत्नी का बहुत सम्मान भी करते थे। शादी से पहले ही सुनील दत्त नरगिस की पसंद जान गए थे, ना पसंद जान चुके थे। । सुनील दत्त जानते थे कि नरगिस को साड़ियों का बहुत शौक है। वह नई साड़ियों का संग्रह एकत्र करती है। शादी के बाद सुनील दत्त ने उनकी पसंद का बहुत ख्याल रखा। उन्होंने उन्हें खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। सुनील दत्त जब भी शूटिंग के लिए बाहर जाते थे, नरगिस के लिए अलग-अलग तरह की साड़ियाँ लाते थे। नरगिस भी बहुत खुश थीं।
जब सुनील दत्त को आश्चर्य हुआ
एक दिन जब नरगिस एक पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रही थी, सुनील दत्त ने नोट किया कि कि उनकी लाई हुई सैकड़ों साड़ियों में से नरगिस ने एक भी नहीं पहनी थी । नरगिस ने जब उनकी लाई हुई साड़ी न पहनने का राज बताया तो सुनील दत्त काफी हैरान हो गए थे । नकी लाई हुई साड़ियां अधिक्तर उन्हें पसंद नहीं आती थीं, किसी का पैर्टन अच्छा नहीं लगा तो किसी का कलर अच्छा नहीं था। फिर भी, नरगिस ने सुनील दत्त द्वारा भेंट की गई सैकड़ों साड़ियों की प्रशंसा की।

नरगिस ने इसका जवाब दिया
नरगिस की बात सुनकर सुनील को बुरा लगा कि उनकी प्यार से लाई हुई साड़ियों को वो नहीं पहनतीं। नरगिस ने उन्हें बताया कि वो भले ही उनकी लाई साड़ियों को पहनती नहीं हों लेकिन उन्होंने सभी साड़ियों को संभाल कर रखा है। सुनील दत्त पहले तो बहुत दुखी हुए लेकिन बाद में यह सोचकर हंसे कि कम से कम उन्होंने सभी उपहार संभालकर तो रखे हैं।
नरगिस दत्त ने अपनी आखिरी सालगिरह पर वह साड़ी पहनी थी
बेटे संजय दत्त ने एक प्रसिद्ध अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने माता-पिता की 23 वीं सालगिरह, जो उनकी मां की आखिरी थी, को याद किया। संजय ने उस भावुक क्षण का जिक्र करते हुए कहा, “11 मार्च 1981 को माँ और पिताजी की 23 वीं वर्षगांठ एक खुशी का मौका था। हमने माँ को हरे और लाल रंग की शादी की साड़ी में सजाया था और उसके बाद भी उनके लिए कई और साड़ियाँ आईं थीं । वो उस दिन थोड़ी दुखी थीं और पिताजी से कहा, ‘मुझे लगता है कि यह मेरी शादी की आखिरी सालगिरह है। उनकी आंखों में आंसू थे। पिताजी उनके साथ बैठ गए और हम सभी उन्हें शांति से देखने लगे।’