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👉आयकर और कृषि क्षेत्र में बड़ी घोषणाओं की थी उम्मीद
👉पेट्रोल डीजल पर सेस लगने से बढ़ सकती है महंगाई

आज देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 का बजट पेश किया। कोविड-19 के अत्यंन्त ही डरावने दौर के बाद हर आम हिंदुस्तानी को बजट की तमाम राहतों का इंतजार था। कहा जा सकता है कि राहतों का इंतजार करने वाले थोड़ी निराशा में ही आएंगे। यह बजट लगभग 609000 करोड घाटे का बजट है।

बजट में हेल्थ केयर सेक्टर को बहुत ही इंपॉर्टेंट दी गई है, जो 94000 करोड़ से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ कर दिया गया है। इसी प्रकार कोरोना वैक्सीन के लिए 35000 करोड रुपए अलॉट किए गए हैं, साथ ही यह भी प्रावधान दिया गया है कि आगे भी जरूरत के हिसाब से फंड निर्धारित किया जा सकता है। आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना में भी 64 करोड़ है, जबकि स्वस्थ भारत मिशन में 1.4 एक लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।

लेकिन देखा जाए तो आम आदमी थोड़ा निराश हुआ है। चुनाव में केरल,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम जहां आने वाले दिनों में चुनाव, उनका विशेष ध्यान रखा गया है। बजट में जो सबसे अधिक तलाशा जाता है आयकर स्लैब में परिवर्तन, तो यहां भी आम आदमी को निराशा हुई है।

एक उम्मीद थी कि शायद कोरोना काल के इस संक्रमण के बाद बाजार की जो ढीली अवस्था है, उसे सुधारने के लिए आम आदमी की जेब में थोड़ा कैश देने की व्यवस्था सरकार करेगी और ऐसे में उम्मीद थी कि बिना शर्त ₹500000 तक आयकर से छूट दी जा सकती है। लेकिन यहां भी बजट पूरी तरह लगभग लगभग मौन है । बस 75 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को जो सिर्फ पेंशन पर अपना गुजारा करते हैं ,उन्हें आयकर से छूट दे दी गई है ।

इस बजट का थोड़ा सा असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। क्योंकि पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाया गया है । पेट्रोल के दाम में अगर कोई बढ़ोतरी होती है तो उसे मिडिल क्लास और अपर क्लास के ऊपर लगा हुआ माना जा सकता है, जिससे कोई बहुत अंतर नहीं पड़ता है। लेकिन अगर डीजल के दामों में बढ़ोतरी हो जाती है तो उसका सीधा असर खेती-किसानी से लेकर ट्रांसपोर्टेशन पर पड़ेगा और वह प्रत्यक्ष रूप से महंगाई को बढ़ाने वाला हो सकता है।

एक बात और जो बजट में दी गई है मोबाइल फोन महंगे होंगे। आज जब ऑनलाइन क्लासेज के साथ वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ रहा है ऐसे में मोबाइल फोन घर घर की और व्यक्ति व्यक्ति की आवश्यकता बनता जा रहा है, इसका महंगा होना आम आदमी की जेब ढीली करना माना जा सकता है ।

ऑटोमोबाइल के कार्य क्षेत्र में भी थोड़ी सी दामों में गिरावट आने की संभावना है। कपास उत्पाद महगा हुआ है। जिससे सूती कपड़ों की दामों में वृद्धि हो सकती है। वंही सोने चांदी के उत्पाद कर में कटौती की गई है। शेयर मार्केट को लाभ मिलने वाला बजट है। लेकिन बीमा क्षेत्र में 74 परसेंट एफडीआई आने से एक बड़े वर्ग को निराशा हुई है।

रक्षा क्षेत्र में भी हर बजट में प्रावधान रहता है, लेकिन इस बार पहले ही पांच मिनी बजट इस क्षेत्र में दिए जा चुके थे ,इसलिए वर्तमान बजट में रक्षा के ऊपर कोई सीधा प्रावधान नहीं किया गया है। 3 साल में 7 टैक्सटाइल पार्क बनाए जाने की घोषणा हुई है। कहने को यह बजट कृषि और किसानों के हित का बताया गया है और एमएसपी को बढ़ा हुआ दिखाया गया है, लेकिन यह बहुत स्पष्ट घोषित नहीं है । यह पिछले वर्षों की तुलनात्मक बढ़त को दर्शाया गया है ।

एक संभावना सारे अर्थशास्त्रियों को थी की वर्तमान में किसानों के उग्र आंदोलन को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जो Rs.6000 दी जाती है उसमें बढ़ोतरी होगी और इसे 7500 किया जा सकता है लेकिन वह भी 13 परसेंट घटा दी गई है।

हालांकि वित्त मंत्री का यह मानना है कि यह बजट मुश्किल और चुनौतियों के बीच का बजट है जिसमें आधारभूत संरचना पर जोर दिया गया है । किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर दिया गया है और स्वास्थ्य क्षेत्र में पर्याप्त बढ़ोतरी की गई है लेकिन इसके बावजूद भी अगर यह कहा जाए कि प्रत्यक्ष रूप से कोई भी लाभ में नहीं है अप्रत्यक्ष रूप से हर व्यक्ति को सरकार लाभान्वित होना मांग रही है, ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक वर्ग तलाश ले कि वह कहां से लाभान्वित हो रहा है। सीधी तौर पर यह *थोड़ी खुशी ज्यादा गम* का ही बजट नजर आता है।