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26 जनवरी के बवाल और हिंसा के बाद किसान यूनियनों ने 6 फरवरी को एक बार फिर चक्का जाम किए जाने की घोषणा की. वे अपने आंदोलन स्थलों के निकट क्षेत्रों में इंटरनेट प्रतिबंध, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से उत्पीड़न करने और अन्य मुद्दों के खिलाफ 3 घंटे तक राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे. यूनियन के नेताओं ने यहां सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे 6 फरवरी की दोपहर 12 बजे से अपराह्र 3 बजे तक सड़कों को अवरुद्ध करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट 2021-22 में किसानों की अनदेखी की गई है और उनके विरोध स्थलों पर पानी और बिजली की आपूर्ति को बंद कर दिया गया है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी आरोप लगाया कि किसान एकता मोर्चा के ट्विटर अकाउंट और ट्रैक्टर2ट्विटर नाम के एक उपयोगकर्ता को प्रतिबंधित कर दिया गया है. स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि ट्विटर अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई सरकारी अधिकारियों के अनुरोध पर की गई है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इस बजट में कृषि क्षेत्र के आवंटन को कम कर दिया गया है.
अभी तक समझौते के कोई आसार नहीं दिख रहै हैं ऐसे में अब देखना यह है कि सरकार के गले की हड्डी बनते जा रहे इस किसान आंदोलन द्वारा प्रायोजित 6 फरवरी के चक्का जाम से सरकार किस तरह निपटती है।