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जिस कॉलेज के सामने निकिता की हत्या हुई उसके बाहर जमा छात्रों को ना तो पुलिस पर भरोसा है और ना ही न्यायपालिका पर यक़ीन है. उन्हें इस घटना के इंसाफ़ का एक ही तरीक़ा मंज़ूर है कि दोषी का एनकाउंटर करके ही, मृत छात्रा और उसके परिजनों को इंसाफ़ दिलाया जा सकता था.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कंचन डागर ने सवालिया अंदाज़ में कहा कि, “गोली मारने वाला मुसलमान है. मरने वाली छात्रा हिंदू थी. मुल्ज़िम का परिवार, उस लड़की पर धर्म बदलकर मुसलमान बनने का दबाव बना रहा था. भारत में लव जिहाद के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं. अगर कोई लड़की ना कर देती है, तो उसे मार दिया जाता है. अगर वो हाँ करती है, तो फिर उसकी लाश सूटकेस में मिलती है. हमने ऐसे बहुत से मामलों के बारे में पढ़ा है. क्या नियम क़ानून सिर्फ़ हमारे लिए हैं? और उनका क्या?”

‘उनका’ से कंचन का मतलब था – कांग्रेस पार्टी और मुसलमान.

कंचन के साथ मौजूद एक और छात्रा गायत्री राठौर ने एक और क़दम आगे जाते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि उसे दस दिन के अंदर फांसी दे दी जाये. या उसका वैसे ही एनकाउंटर कर दिया जाये, जैसे योगी की सरकार में होता है. भले ही वो ग़ैर-क़ानूनी क्यों ना हो.”

करणी सेना भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरू सिंह निकिता के घर पहुंचने वाले लोगों में पहले क्षत्रिय नेता थे। इनके अलावा अन्य क्षत्रिय नेता उत्तर प्रदेश और हरियाणा के साथ-साथ अन्य इलाक़ों से निकिता तोमर के घर फ़रीदाबाद पहुँचे थे. सभी लोग इस मामले में केस न चलाकर सीधा इंसाफ़ करना चाहते हैं.

जहाँ तक निकिता का मामला है, तो कहा जा रहा है कि उन्होंने साल 2018 में तौसीफ़ के ख़िलाफ़ की गई शिक़ायत को वापस ले लिया था. इसमें उन्होंने तौसीफ़ पर निकिता के अपहरण का इल्ज़ाम लगाया था.

बाद में दोनों के परिवारों के बीच एक समझौता हुआ जिसमें तय किया गया कि तौसीफ़ अब निकिता को परेशान नहीं करेगा. मगर, तौसीफ़ की हरकतें बंद नहीं हुईं.

वो निकिता को परेशान करता रहा. इसी वजह से निकिता को कॉलेज छोड़ने के लिए उनकी माँ साथ जाया करती थीं ताकि उनकी बेटी महफ़ूज़ रहे, उसे तौसीफ़ से कोई दिक़्क़त ना हो.

लेकिन, बाद में निकिता की माँ ने बेटी को कॉलेज छोड़ने जाना और वापस ले आना बंद कर दिया. उन्हें लगा कि अब उनकी बेटी को तौसीफ़ तंग नहीं करता.

निकिता के परिजनों ने तौसीफ़ के ख़िलाफ़ की गई शिकायत को वापस ले लिया था.

उसकी एक वजह ये थी कि लड़की वाले होने के कारण उन्हें अपनी बदनामी होने का ज़्यादा डर था. इससे उन्हें बेटी की शादी में अड़चनें आने का अंदेशा था।

हरियाणा के सोहना रोड पर स्थित ये एक मध्यम वर्गीय सोसाइटी है. यहीं पर निकिता, एक छोटे से अपार्टमेंट में अपने परिवार के साथ रहती थीं. उनका मकान ग्राउंड फ़्लोर पर है जिसमें दो कमरे हैं.

अलग-अलग संगठनों के लोग निकिता के घर पहुंच रहे हैं. निकिता के माँ-बाप से बेटी की हत्या पर अफ़सोस जता रहे हैं क्योंकि ‘उस लड़की ने अपना मज़हब बचाने के लिए अपनी जान दे दी थी.’

लगभग 50 साल की स्वदेशी, उसी सोसाइटी के पड़ोस वाले ब्लॉक में रहती हैं.
वे निकिता को याद करते हुए कहती हैं, “मैं उसे जानती थी. वो बहुत प्यारी लड़की थी. इंसाफ़ ज़रूर होना चाहिए. आरोपी को उसी जगह पर खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए. यही इंसाफ़ होगा.”

निकिता की माँ विजयवती अक्सर रोने लगती थीं. वो बार-बार ये दोहरा रही थीं कि उनकी बेटी बहुत बहादुर थी. उनके पास अपनी बेटी जैसा साहस नहीं है.

विजयवती की बहन गीता देवी बार-बार ये कह रही थीं कि, “मेरी भांजी ने हिंदू धर्म के लिए अपनी जान दे दी. अगर वो उस दिन कार में बैठ जाती तो फिर उसकी माँ अपनी बेटी की इस कायरता के साथ कैसे ज़िंदगी बिता पाती.”

निकिता की माँ रो रोकर कह रही थीं कि निकिता नेवी लेफ़्टिनेंट बनना चाहती थी. और उसने 15 दिन पहले ही भर्ती की परीक्षा दी थी. इम्तिहान देने के बाद उसे यक़ीन था कि वो चुन ली जाएगी.

निकिता की मौसी गीता ने कहा कि, “वो अफ़सर बनकर देश की सेवा करना चाहती थी.”

पुलिस अब निकिता के परिवार के उस आरोप की भी जाँच कर रही है कि तौसीफ़ और उसका परिवार निकिता पर धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बनने और निकाह करने का दबाव बना रहे थे.

छेड़खानी और पीछा करना एक अपराध है और देश में बहुत सी महिलाओं को किसी के मुहब्बत के प्रस्ताव को ठुकराने की भारी क़ीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है.

भारत में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहाँ महिलाओं को किसी इंसान के प्रेम प्रस्ताव को अस्वीकार करने का ख़ामियाज़ा एसिड अटैक, हत्या जैसे निर्मम अपराध के तौर पर भुगतना पड़ा है क्योंकि मर्द किसी महिला द्वारा रिजेक्ट किये जाने को अपनी तौहीन समझते हैं।